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ना'त-ओ-मनक़बत
बिछ गई इक ग़म की सफ़ सारे जहाँ में हर तरफ़लुट रहा है दश्त में बाग़-ए-बहार-ए-फ़ातिमा
अरशद जबलपुरी
सूफ़ी लेख
क़ुतुबल अक़ताब दीवान मुहम्मद रशीद उ’स्मानी जौनपूरी
क़ुदरत का ये अ’जीब निज़ाम है कि एक की बर्बादी दूसरे की आबादी का सबब होती
हबीबुर्रहमान आज़मी
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
बादशाह सलामत के झरना पहुँचते ही क़लमाक़नियों ने शाही पिंगोरा खड़ा कर उस में मस्नद बिछा