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अल्लाह अल्लाह ’अज़मत-ए-शान-ओ-वक़ार-ए-फ़ातिमा

अरशद जबलपुरी

अल्लाह अल्लाह ’अज़मत-ए-शान-ओ-वक़ार-ए-फ़ातिमा

अरशद जबलपुरी

MORE BYअरशद जबलपुरी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان خاتون جنت حضرت فاطمہ زہرا (جنت البقیع-مدینہ منورہ)

    अल्लाह अल्लाह ’अज़मत-ए-शान-ओ-वक़ार-ए-फ़ातिमा

    सब की सब हूरान-ए-जन्नत हैं निसार-ए-फ़ातिमा

    सय्यदा का नाज़-परवर है ख़ुदा-ए-दो-जहाँ

    हज़रत-ए-जिब्रील हैं ख़िदमत-गुज़ार-ए-फ़ातिमा

    नूर-ए-’ऐन-ए-मुस्तफ़ा मौला 'अली के दिल का चैन

    हैं शहीद-ए-कर्बला जान-ए-क़रार-ए-फ़ातिमा

    बिछ गई इक ग़म की सफ़ सारे जहाँ में हर तरफ़

    लुट रहा है दश्त में बाग़-ए-बहार-ए-फ़ातिमा

    किस तरह देखा ये मंज़र तू ने अर्ज़-ए-कर्बला

    ख़ून आलूदा हुआ जब लाला-ज़ार-ए-फ़ातिमा

    गुलशन-ए-रब्बानिया के गुल बहकते हैं यहाँ

    मौजज़न है उन की नीयत में बहार-ए-फ़ातिमा

    कोई भी वो काम करतीं 'इबादत के बग़ैर

    था 'इबादत आश्ना 'अरशद' शिआ'र-ए-फ़ातिमा

    स्रोत :
    • पुस्तक : Sukhan Waraan-e-Izzat (पृष्ठ 68)

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