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नज़्म
मे'राज-ए-सफ़र
है ख़म रसाई-ए-इंसाँ पे फ़ासलों की जबींबुलंदियों पे कमंदें उछालती है ज़मीं
मुज़फ़्फ़र वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ालिद मह्मूद नक़्श्बंदी
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सूफ़ी लेख
ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
अज़ीज़ मियाँ का विसाल 6 दिसम्बर 2000 ई. को तेहरान में हुआ। वो ईरान सरकार के
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी
आप बड़े पुर-गो शाइ’र थे। हर सिन्फ़-ए-शाइ’री पर तब्अ’-आज़माई की है और अक्सर जगहों पर उन्होंने
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
’’मुझे याद है कि मेरे शाइरी करने के बिल्कुल शुरुआती ज़माने में हज़रत पीर मेहर अली
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
अज़ीज़ मियां मेरठी इकलौते ऐसे अनोखे क़व्वाल थे जो अपनी क़व्वालियाँ खुद लिखते थे ।साबरी ब्रदर्स
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हकीम शाह अलीमुद्दीन बल्ख़ी फ़िरदौसी
ये जाम कभी न कभी तो पीना ही था मगर इस तरह शाह साहिब को एक