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पद
संतन की भई बेटी हो बाबा
संतन की भई बेटी हो बाबा।।ध्रु0।।भजन-दाल ज्ञान-घृत सुं, खावती आनन्द रोटी हो बाबा ।।
केशव स्वामी
कृष्ण भक्ति संत काव्य
कौन की नागरि रूपकी आगरि जाति लिएँ सँग कौन की बेटीजाको लसै मुख चंद-समान सु कोमल अँगनि रूप-लपेटी
रसखान
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
बेटी तेरा मामूं तो बॉका री कि सावन आया।(7) दोहा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
बेटी तेरा मामूं तो बॉका री कि सावन आया।(7) दोहा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
कविता
राति कहौ रमि कै प्रभात प्रान-प्यारी पास,
'चंद्रकला' द्विकल कलाधर अनेक धरे,लखि उर गाढ़ बोली बेटी वृषभान की ।
चंद्रकला बाई
गूजरी सूफ़ी काव्य
यूसुफ़ सानी
मारे शहज़ादे उने यक लख हज़ार,बेटी शह फ़ग़फ़ूर की युवा गुल अज़ार।
मोहम्मद फ़तह
दकनी सूफ़ी काव्य
जंगनामा बी जैतून
ज़ैतून पाक दामन व चलीस कनीज़बेटी शाहे इरम की थी अज़ जाँ अज़ीज़
क़ासिम अली
कवित्त
दाड़िम खुलन छीनी कुंद की फुलन छीनी
शाह सुख पेटी सब सुखमा लपेटी रतिरति की उपेटी भेटी बेटी वृषभान की।।
सय्यद छेदाशाह
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
(ख) बूझत श्याम, कौन तू, गोरी! कहाँ रहति, काकी तू बेटी? देखी नाहि कहूँ ब्रज-खोरी।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर के माखन-चोर- श्री राजेन्द्रसिंह गौड़, एम. ए.
बड़े बाप की बेटी, पूतहिं भली पढ़ावति बानी।। सखा-भीर लै बैठत घर मैं, आप खाई वौ सहिये।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती
"जन्नतुल-फ़िर्दौस मक़ाम-ए-अबदी शुद" (1336 हिज्री)इस पहले निकाह से आपको एक बेटी और एक बेटा पैदा हुए:
रय्यान अबुलउलाई
कविता
मौत और घसियारा
किसी गांव मे इक घसियारा । रहता था किस्मत का मारा ।बेटा बेटी जोडू जाता। कोई न थे अल्ला से नाता ।।