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दोहा
इकना आस मुड़न दी आहे, इक सीख कबाब चढ़ाइयां ।।
इकना आस मुड़न दी आहे, इक सीख कबाब चढ़ाइयां ।।बुल्लेशाह की वस्स ओनां, जो मार तकदीर फसाइयां ।।
बुल्ले शाह
राग आधारित पद
राग मंगल- पिया मिलन की आस रहौं कब लौं खड़ी
पिया मिलन की आस रहौं कब लौं खड़ीऊँचे चढ़ि नहिं जाय मनें लज्जा भरी
कबीर
ना'त-ओ-मनक़बत
मना ला मना ला रे भौंरा रूठे पिया को मना लारूठे ख़्वाजा को मना ला अजमेरी दाता को मना ला
शाह सुलतान अहमद चिश्ती
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नज़्म
ये बातें झूटी बातें हैं ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बात अजीब सुनाते हो वो दुनिया से बे-आस हुएइक नाम सुना और ग़श खाया इक ज़िक्र पे आप उदास हुए
इब्न-ए-इंशा
पद
लाल बड़ा बे गोपाल बड़ा बे
लाल बड़ा बे गोपाल बड़ा बेहर वख्त हरदम मेरे दिल में खडा बे।।ध्रु0।।
केशव स्वामी
सूफ़ी उद्धरण
वज्द में आदमी बे-होश नहीं होता बल्कि बे-ख़ुद हो जाता है, अगर बे-होश हो गया तो लुत्फ़ चला गया।
वज्द में आदमी बे-होश नहीं होता बल्कि बे-ख़ुद हो जाता है, अगर बे-होश हो गया तो लुत्फ़ चला गया।