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ग़ज़ल
बंदे हम बे-ज़र-ओ-बे-दाम हैं कुन के इन केदिल से हम 'आशिक़-ए-ना-काम हैं कुन के इन के
इश्क़ हैदराबादी
दोहा
तू जाने करतार, जी मुझ साजन बे-पीरा।
तू जाने करतार, जी मुझ साजन बे-पीरा।सांई ही की सार, पांजर मां जोबन बसे।।