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ना'त-ओ-मनक़बत
मज़हर-ए-शान-ए-किब्रिया सल्ले-’अला-मोहम्मदिनआईना-ए-ख़ुदा-नुमा सल्ले-’अला-मोहम्मदिन
हसरत मोहानी
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ना'त-ओ-मनक़बत
सरापा मज़हर-ए-क़ुदरत निज़ामुद्दीन वल-मिल्लतअ'ली सूरत नबी सीरत निज़ामुद्दीन वल-मिल्लत
ज़हीन शाह ताजी
ना'त-ओ-मनक़बत
यार यगाना सर हो विलादत-ए-रमज़ानीसुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी
सुलतान नाजीबुर्रहमान
ना'त-ओ-मनक़बत
मज़हर-ए-ज़ात-ए-ख़ुदा है अपना ख़्वाजा बादशाहनूर सर किबरिया है अपना ख़्वाजा बादशाह
आशिक़ हैदराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
मक़ाम-ए-क़ुर्ब तक वो मज़हर-ए-नूर-ए-ख़ुदा पहुँचेनज़र इंसाँ की क्या पहुँचे जहाँ पर मुस्तफ़ा पहुँचे
हाफ़िज़ मालेगाउंवी
ना'त-ओ-मनक़बत
हाफ़िज़ हबीब अ'ली शाह
ना'त-ओ-मनक़बत
सर से पा तक लग रहे हैं मज़हर-ए-अनवार सेहू-ब-हू हैं मिरे वारिस सय्यद-ए-अबरार से
रशीद वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
मोहम्मद मज़हर-ए-कामिल है हक़ की शान-ए-'इज़्ज़त कानज़र आता है इस कसरत में कुछ अंदाज़ वहदत का
अहमद रज़ा ख़ान
ना'त-ओ-मनक़बत
'अली को मज़हर-ए-रब जल्वा-ए-सरकार कहता हूँ'अली को कल का मौला सय्यद-ओ-सरदार कहता हूँ
सय्यद हसन अहमद
सूफ़ी लेख
अज़ीज़ सफ़ीपुरी और उनकी उर्दू शा’इरी
मोहम्मद मज़हर-ए-हक़ और दो’आलम उन के मज़हर हैंबनाया आईना उनको हुआ वो रूनुमा कैसा
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
ना'त-ओ-मनक़बत
औघट शाह वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
हाफ़िज़ुल्लाह साबरी
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत हसन जान अबुल उलाई
मज़हर ए नूर ए किबरियाई हूँनक़्शबंदी अबुल उलाई हूँ