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Sufinama

सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

सुलतान नाजीबुर्रहमान

सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

सुलतान नाजीबुर्रहमान

MORE BYसुलतान नाजीबुर्रहमान

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان سلطان الفقر ششم حضرت سخی سلطان محمد اصغر علی۔

    सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

    रूह-ए-बाहू महबूब-ए-शाह-ए-जीलानी

    सुल्तान-उल-फ़क़्र मम्बा'-ए-फ़ैज़-ए-सुल्तानी

    साहब-ए-फ़क़्र मक़ाम-ए-ला-मकानी

    मुराद-ए-सुल्तान-ए-'अज़ीज़ हयात-ए-जावेदानी

    सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

    अज़ल से हासिल मर्तबा हक़्क़-उल-यक़ीं

    हर लम्हा दीदार-ए-ज़ात में महव-ए-इमाम-ए-मुबींं

    फ़क़ीर-ए-बा-सफ़ा फ़ना-फ़िल्लाह बक़ा-बिल्लाह बिल-यक़ीन

    निगाह हटी हक़ से कभी तेरी सुल्तान-ए-मुबीं

    बहर-ए-हक़ीक़त वुजूद-ए-बशर रूह-ए-रहमानी

    सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

    चेहरे पे लिल्लाह ख़ास निशानी

    ला-यहताजु मर्तबा सर पे ताज-ए-सुल्तानी

    मक़ाम-ए-हरीम-ए-ज़ात-ए-किबरिया ख़ास फ़ज़्ल-ए-रब्बानी

    इज़ा तम्मल-फ़क़्रु फ़-हुल्लाहु ला-ज़वाल-ए-ज़िंदगानी

    मोहसिन-ए-ज़माना मुस्तफ़ा सानी मुजतबा आख़िर-ए-ज़मानी

    सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

    आप की निगाह-ए-कामिल से नाक़िसों को कमाल मिला

    मिला सब को 'इश्क़ मगर ख़्वास को मानिंद-ए-बिलाल मिला

    साहिब-ए-क़ुरआन महबूब-ए-ख़ुदा से नूर-ए-जमाल मिला

    जिसे ज़वाल नहीं कभी ऐसा आप को विसाल मिला

    जान-ए-सुल्तान बहादुर शाह महबूब-ए-यज़्दानी

    सुल्तान मोहम्मद असग़र अ'ली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

    सुल्तान बाहू ने किया ये राज़ फ़ाश सुल्तान-उल-फ़क़्र

    ग़ौस-ओ-क़ुतुब के सर पे है आप का क़दम सुल्तान-उल-फ़क़्र

    माह-ओ-ख़ुर्शीद माँद आप के हुस्न के सामने सुल्तान-उल-फ़क़्र

    मुनव्वर हुए आप की निगाह कामिल से स्याह क़ुलूब सुल्तान-उल-फ़क़्र

    यार यगाना सर हो विलादत-ए-रमज़ानी

    सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

    वो महफ़िल-ए-'उश्शाक़ में आप का दबे पाँव आना

    'आशिक़ों से निगाहें मिला के वो निगाहों का झुकाना

    हल्के से तबस्सुम से वो दिलों का गर्माना

    दीद में तड़पती रूहों को इक नज़र से दीवाना बनाना

    'नजीब' हुआ उन्ही अदाओं से घाइल दिलबर-ए-जानी

    सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

    इस्म-ए-अल्लाह ज़ात है पैग़ाम सुल्तानुन-लफ़क़्र का

    भूल जाना ये काम सुल्तान-उल-फ़क़्र का

    ज़माने को बतलाना है अभी मक़ाम सुल्तान-उल-फ़क़्र का

    दुनिया में फैलाना है अभी नाम सुल्तानुल-फ़क़्र का

    'नजीब' को है ये ख़ास वसिय्यत नौ’-ए-इंसानी

    सुल्तान मोहम्मद असग़र 'अली मज़हर-ए-ज़ात-ए-रब्बानी

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