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छप्पय
रबि आकरषै नीर बिमल मल हेत न जानत।
रबि आकरषै नीर बिमल मल हेत न जानत।हंस क्षीर निज पान सूप तजि तुस कन आनत।।
भीषनजी दादूपंथी
पद
अरि दल मल रे जोधा नर दल भीम करन समान।।
अरि दल मल रे जोधा नर दल भीम करन समान।।तड़तक झुमण जुग लरे ततकाल निरत अपार रे धारु गावत
गोपाल नायक
कृष्ण भक्ति संत काव्य
जय श्री जमुने कल मल हारिनिकरु करुना प्रीतम की प्यारी भँवर तरंग मनोहर धारिनि
जुगल प्रिया
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दकनी सूफ़ी काव्य
जंगनामा हज़रत क़ासिम
हुसेन इब्न अली के पाव पड़ करलगे कहने कू मल मल अपना सर
वली वेल्लूरी
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
वाही के रंग से सुन बे शोख रंगखूब ही मल मल के धोया री
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
वाही के रंग से सुन बे शोख रंग खूब ही मल मल के धोया री
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
गूजरी सूफ़ी काव्य
बूतों का जोर दीवाना दिवाकर मानता हैगा
बगोला बनके राहे बेसतूं में कोहकन अब लग,सम खूं गुल गूं की माटी हाथ मल मल छानता हैगा।
अब्दुल वली उज़लत
पद
सुरत की शुद्धि - गुरु घाट चलो मन भाई, सुरत चदरिया लेव धुवाई।।
बचन की रेह भाव की भाठी, बिरह की अगिन जराई।।भक्ति नदी जहं निस दिन बहती, मल मल तामें मैल गंवाई।।
शिवदयाल सिंह
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
गम्भीरमल मोती सिंह चन्द्रभानचिमन सिंह नरूका इन्द्र मल पुरोहित शिवनाथ
भारतीय साहित्य पत्रिका
दकनी सूफ़ी काव्य
मोहिउद्दीन दर मनाक़ब हज़रत अब्दुल क़ादर
मुबारक क़दम कूँ सब ले लियाँ मललिये खादे ऊपर अज़ जान होर दिल
हुसैनी
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
मेरे नैना बिरह की बेलि बई। सींचत नीर नैन के सजनी मल पताल गई।।