मेरी मैली गुदड़िया धो दे गंज-ए-शकर के लाल
रोचक तथ्य
خواجہ نظام الدین اؤلیا کی پیدائش کے دن ہر سال مخصوص لب و لہجے میں پڑھا جانے والا کلام۔
मेरी मैली गुदड़िया धो दे गंज-ए-शकर के लाल
मेरी मैली गुदड़िया धो दे बाबा फ़रीद के लाल
मेरी मैली गुदड़िया धो दे ख़्वाजा निज़ाम
मेरी मैली गुदड़िया धो दे महबूब-ए-इलाही
औरों के धोए शारिब शाहे
दी जिस पे इक निगाह हुआ सब से वो ग़नी
औरों पे है ये लुत्फ़-ए-करम हम तो घर के हैं बस
मेरी मैली गुदड़िया धो दे
तन कर कपड़ा मन कर साबुन
दाग़ दिलों के धो दे धो दे पिया
ऐ गंज-ए-शकर लाल बाबा फ़रीद के लाल
सावन थोड़ा पानी गदला
नामों में गुनगध नामों पे दुगना
याही में मोहे समो दे
मेरी मैली गुदड़िया धो दे रे निज़ाम
दिल दरिया-ओ-लहर दा पानी
याही में मल-मल धो दे रे गंज-ए-शकर के लाल
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