आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मिलेगा"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "मिलेगा"
सूफ़ी उद्धरण
मोहब्बत से देखो तो गुलाब में रंग मिलेगा, ख़ुशबू मिलेगी, नफ़रत से देखो तो ख़ार निगाहों में खटकेंगे।
मोहब्बत से देखो तो गुलाब में रंग मिलेगा, ख़ुशबू मिलेगी, नफ़रत से देखो तो ख़ार निगाहों में खटकेंगे।
वासिफ़ अली वासिफ़
दकनी सूफ़ी काव्य
मसनवी दर फ़वायद बिस्मिल्ला
ख़ज़ाना भरा निसदे शाहे जहॉलेकिन ऐसा पानी मिलेगा कहॉ
गुलामनबी हैदराबादी
अन्य परिणाम "मिलेगा"
बारहमासा
भादों- लगा भादों मुझे दुख देने भारी।
न जानू दरस पी का कब मिलेगा।कंवल इस मेरे जी का कब खिलेगा।।
मक़सूद
ग़ज़ल
छोड़कर मुझको अगर जाते हो जाओ लेकिनना मिलेगा तुम्हें पाबंद-ए-वफ़ा मेरे बा’द
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
ग़रीब-परवर-ओ-मुश्किल-कुशा की चादर हैमिलेगा हुस्न का सदक़ा ग़रीब ‘बेदम’ को
सुमन मिश्रा
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- पहली दास्तान
इस बद अमीर की बदतरीन सल्तनत बता?हे ऊब चुके सारे अ’वाम, कब उन्हें मिलेगा इंतिक़ाम,
लियोनिद सोलोवयेव
पद
माया का गुलाम न करो साईकु सलाम
ऐसा बेईमान इसकूं क्यों मिलेगा राम रे ।।नाहक सारी उमर गवांई न लिया हरिका नाम रे ।।
माधव मुनीष्वर
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
मिलेगा हुस्न का सदक़: ग़रीब बेदम कोजमील-ए-हुस्न-ओ-जमाल-ए-ख़ुदा की चादर है
सुमन मिश्रा
शबद
कैसा बनाया भगवान, खिलौना माटी का ।
मानव-तन माटी मे मिलेगा, माल खजाना संग ना चलेगा ।क्यों भूल रहा इन्सान, खिलौना माटी का ।।
स्वामी आत्मप्रकाश
ग़ज़ल
नज्म तुम्हें मिलेगा क्या ऐसी नमाज़ इशक़ मेंदिल में ख़लिश हो और न दर्द सोज़ हो और न साज़ हो