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सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
।। दोहा ।।चर्नदास ऐसे भये, मोक्ष मुक्त करि देत।
भारतीय साहित्य पत्रिका
शबद
देवो जी प्रभु सदा मोहे सत्संग ।
आत्म प्रकाश मिले मोक्ष पदार्थ, सत्संग के प्रसंग ।।
स्वामी आत्मप्रकाश
मनहर
शुद्ध जो प्रकास बोध प्रापत भयो है जाकौ,
भवके समुद्र मांझ फूले हैं वे अरविन्द,मोक्ष मकरन्द जामें एखही प्रकाशि है।।
महात्मा मनोहरदास जी
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पद
पीवो श्री भागवत सुधारस।।
अरथ धरम अरु काम मोक्ष पद प्रेम भक्ति कों कनक कस।।काम क्रोध मद लोभ गलित भय संत शिरोमणि सर्वस।।
हरिदास
राग आधारित पद
दरबारी देशी टोड़ी - अनहद शब्द उपज्यौ मो घट में ताकौ ध्यान धरूँ अष्टयाम
निषाद पावै ज्यौं अति अभिरामधर्म-अर्थ-काम-मोक्ष चारौं पदारथ पाये
तानसेन
दोहा
अर्थ धर्म अरु काम पुनि त्याग पदारथ तीन
अर्थ धर्म अरु काम पुनि त्याग पदारथ तीनसो अधिकारी मोक्ष को महाज्ञान परवीन
स्वामी भगवानदास जी
राग आधारित पद
मतंग और विज्ञानेश्वर मत - बीन वाद्य श्रुति ताल में निपुन पुरुष है जोय
बीन वाद्य श्रुति ताल में निपुन पुरुष है जोयबिना परिश्रम जात है मोक्ष पंथ महँ सोय
तानसेन
ग़ज़ल
गुरु के पावन चरणों में तू शीष झुका दे ऐ पगलेमाया-जाल से निकलेगा तू मोक्ष उसी से पाएगा