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बुत का पुजारी बन जा पगले मीठा फल तू पाएगा

अब्दुल हादी काविश

बुत का पुजारी बन जा पगले मीठा फल तू पाएगा

अब्दुल हादी काविश

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    बुत का पुजारी बन जा पगले मीठा फल तू पाएगा

    दुनिया के सब छोड़ बखेरे पीछे तू पछताएगा

    मन मंदिर के खोल के पट तू तीखी नजर से देख ज़रा

    कँण कँण में भगवान बिराजे तुझ को नजर फिर आएगा

    कर्म धर्म की राह कठिन है इस पे चलना है दुश्वार

    प्रेम डगर में जा पगले दुख से मुक्ती पाएगा

    गुरु के पावन चरणों में तू शीष झुका दे पगले

    माया-जाल से निकलेगा तू मोक्ष उसी से पाएगा

    मन से अपने पूछ 'काविश' सच्चा मित्र यही तो हे

    मुल्ला पंडित राक्षसोंं से धोके कब तक खाएगा

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