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व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
बूढ़ा बड़ी मेहनत से पीछे को घूमा, लेकिन तब तक गुलजान फूल-पत्तों में ग़ायब हो चुकी
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
थाली फेंको तो सरों पर जाये। मग़रिब के बा’द ही झरना से नफ़ीरी की आवाज़ आई।