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कलाम
सईद आरफ़ी
पद
प्रीतम हमारो प्यारो श्याम गिरिधारी हैं ।
तन मन वारूँ प्रान, जीवन मुरारी है ।सुमिरूँ मैं साँझ भोर, बार बार-हाथ जोर,
प्रताप बाला
पद
चतुर भुज झूलत श्याम हिंडोरे ।
बाजत बीन पखावज बन्सी गान होत चहुँ ओरें ।जाम सुता छवि निरखि अनोखी वारूँ काम किरोरें ।।
प्रताप बाला
दकनी सूफ़ी काव्य
पगदण्डी
कै-दस लगो रे तुज्जे हल्लक में फांड़े फुट्टोमैं करको तेरे टुकड़े मुल्काँ पो मेरे वारूँ
सुलैमान ख़तीब
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राग आधारित पद
का करूँ मोरी गुइयाँ बिरज में फाग मचो री
तन-मन अपना उन पर वारूँ और करूँ झकजोरी
ख़लील सफ़िपुरी
ना'त-ओ-मनक़बत
उस हाशमी दूल्हा पर कौनैन को मैं वारूँजो हुस्न-ओ-शमाइल में यकता-ए-ज़माना है
पीर नसीरुद्दीन नसीर
गीत
दरस सुभ-कारी जग में होगे दर्शन बुझा पाऊँतन-मन जोबन उन पर वारूँ तब मैं 'नियाज़' कहाऊँ
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
यके हमवारः बा दौलत ब-काम अज़ ने'मत-ए-बाक़ीयके पैवस्त: बा मेहनत ब-रंज अज़ अख़्तर वारूँ