आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "विजय"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "विजय"
कविता
संध्या- रात ने पाया विजय जम केतु यह फहरा रहा!
रात ने पाया विजय जम केतु यह फहरा रहा!या उसी के राग का है सिन्धु यह लहरा रहा।।
सय्यद अमीर अली मीर
सूफ़ी लेख
सन्तरण कृत गुरु नानक विजय - जयभगवान गोयल
गुरु नानक विजय उदासी बोध में इन्होंने नानक विजय, मनप्रबोध, वचनसंग्रह तथा नानक बोध इन चारों रचनाओं
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
भारत के चारों कोनों में चारो धाम हैं और चार विजय। उत्तर में शंकर और व्यास
सूफ़ीनामा आर्काइव
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "विजय"
अन्य परिणाम "विजय"
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
यह कवि की आध्यात्मिक रस मूलक कृति है। इसमें जीव को लक्षित करते हुए कवि ने
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुमाणरासो का रचनाकाल और रचियता- श्री अगरचंद नाहटा
“दौलत (दलपत) विजय-रचित खुमाणरासो की एक अपूर्व प्रति 1 देखने में आई, उसमें महाराणा प्रतापसिंह तक
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ज़फ़राबाद की सूफ़ी परंपरा
जौनपुर से पूरब की ओर पांच मील की दूरी पर क़स्बा ज़फ़राबाद है . यह शहर
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
आज रंग है !
होली के त्यौहार को भक्त प्रह्लाद, हिरण्य कश्यपु और होलिका की कहानी से भी जोड़ा जाता
सुमन मिश्रा
कलाम
देर लगी आने में तुम को शुक्र है फिर भी आए तोआस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो
अंदलीब शादानी
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की तीसरी क़िस्त
चौथे- इन मूर्खो का कहना है कि सन्तों ने जो हृदय को भोग और क्रोधादि से
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सन्यासी फ़क़ीर आंदोलन – भारत का पहला स्वाधीनता संग्राम
बात उस समय की है जब अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान पर अपना अधिकार जमाने के पश्चात इसे
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
कबीर जीवन-खण्ड- लेखक पं. शिवमंगल पाण्डेय, बी. ए., विशारद
जब उपर्युक्त ब्राह्मणों ने देखा कि हमारे सब उपाय मिट्टी में मिल गए, तो उन्होंने फिर
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर की लोकमंगल-भावना, डॉक्टर भगवती प्रसाद सिंह
सूर का ध्यान आकृष्ट करने वाली एक और बात थी समकालीन समाज में बढ़ती हुई विषमता