आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "व्याकुल"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "व्याकुल"
कविता
गाना- तुम्हें देखन को हिय है बहु व्याकुल।
तुम्हें देखन को हिय है बहु व्याकुल।कौन दिना तुम दरस देखै हो?
करीम बख़्श
राग आधारित पद
निरंजन आइये !
वाल्हा तुम बिन व्याकुल जीव, धीरन धरत है।।क्या ! जानू क्या ! होइ, अब मन डरत है।।
महाराज अमरपुरुष जी
खंडकाव्य
यूसुफ़ जुलेखा (स्वप्न दर्शन खंड)
विरह बान बेधा यर वारा। रोम-रोम व्याकुल तेहि झारा।चिनगी विरह आगि कै लागी। सुलगै लागि हिये मँह आगी।
शैख़ नज़ीर
अन्य परिणाम "व्याकुल"
पद
स्वजीवन के पद - तू मत बरजे माइड़ी साधां दरसन जाती
रूप सुरङ्गा राम जी मुख निरखत लीजे'मीराँ व्याकुल विरहिणी आपणी कर लीजे
मीराबाई
पद
जोगी के पद - जोगिया रे कहियो रे अदेस
पाँच पचीसो बस किए मेरा पल्ला न पकड़े कोय'मीराँ व्याकुल बिरहणि कोई आन मिलायै मोय
मीराबाई
पद
विरह के पद - भवन पति तुम घर आज्यो हो
दुखिया कूँ सुखिया करो मोहि दरसन दीजै हो'मीराँ व्याकुल बिरहणी अब विलम न कीजै हो
मीराबाई
पद
विरह के पद - माई म्हारी हरि जी न बूझी बात
आवण आवण होय रहियो रे नहिं आवण की बात'मीराँ व्याकुल बिरहणि रे बाल ज्यूँ बिल-लालत