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प्रभाती
प्रभाती -अजपा जाप सकल घट बरनै, शो जानै सोइ पेखा।
अजपा जाप सकल घट बरनै, शो जानै सोइ पेखा।गुरुगम जोति अगम घर बासा, जो पाया सोइ देखा।।
बावरी साहिबा
शबद
उपदेश - मन तुम छोड़हु सकल उदासी
त्यागि सकल परपंच बिषै हरि ताहि मिलै अन्यासीनिरमोही निर्बान निरंजन निरममता सन्यासी
भीखा साहेब
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कविता
भुजंगप्रयात- जहां अर्थ निज धर्म छूटे सकल भर्म
जहां अर्थ निज धर्म छूटे सकल भर्मशुभ कर्म स्वाद स्वजयजय प्रकाशी।
मीर रुस्तम
पद
सकल सुख धरन मंगल करन, उत्तम शरण है ये ही
सकल सुख धरन मंगल करन, उत्तम शरण है ये ही ।श्री अरहत आदिक पूज्य पदवी, करन है ये ही।।
चम्पा देवी
कुंडलिया
सकल सन्त है राम के, कुछ करनी में भेद
सकल सन्त है राम के, कुछ करनी में भेद।।सबही मिल सुमरण करो, करो काल का छेद।।
स्वामी आत्माराम जी
राग आधारित पद
राग मारू -रहयौ राचि एक साचि तजि ब सकल लोई हो।
आन देव करौ न सेव, काया करम लागै।धनि सु जीव संगि पीव, सकल निसा जागै ।।
वाजिद जी दादूपंथी
दोहा
सकल क्षत्रपति बस किये अपणे ही बल बाल
सकल क्षत्रपति बस किये अपणे ही बल बालसबला कुँ अबला कहै मूरख लोग 'जमाल'
जमाल
दोहा
भक्ति-भावना - बिमल सरल 'रसखानि' भई सकल 'रसखानि'
भक्ति-भावना - बिमल सरल 'रसखानि' भई सकल 'रसखानि'सोई नाव 'रसखानि' को चित चातक 'रसखानि'
रसखान
दोहा
विनय मलिका - कलप बृच्छ के निकट हीं सकल कल्पना जाय
कलप बृच्छ के निकट हीं सकल कल्पना जाय'दयादास' तातें लई सरन तिहारी आय
दया बाई
दोहा
विनय मलिका - जैसे सूरज के उदय सकल तिमिर नस जाय
जैसे सूरज के उदय सकल तिमिर नस जायमेहर तुम्हारी हे प्रभु क्यूँ अज्ञान रहाय
दया बाई
दोहा
विनय मलिका - सकल मेघ लै इन्द्र जब ब्रज पै बरसो आय
सकल मेघ लै इन्द्र जब ब्रज पै बरसो आयगोबरधन नख पै धरो सब ब्रज लियो बचाय
दया बाई
राग आधारित पद
भूपाली, चौताल- आदि नाद प्रणव रूप सम्पूर्न दीजियै तुम प्रसाद
सकल रूप कारन, सकल दुख निवारन,भव बंधन तारन सुर-नर-मुनि बंदन।