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ना'त-ओ-मनक़बत
तुम पे मेरा दिल ख़ुदा ऐ सब्ज़-गुम्बद के मकींतुम पे क़ुर्बां सब मिरा ऐ सब्ज़-गुम्बद के मकीं
हादी क़ादरी
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मज़रा-ए’-सब्ज़-ए-फ़लक दीदम-ओ-दास-ए-मह-ए-नौयादम अज़ किश्तः-ए-ख़्वेश आमद-ओ-हंगाम-ए-देरौ
हाफ़िज़
सूफ़ी शब्दावली
सूफ़ी लेख
उ’र्स-ए-बिहार शरीफ़
۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔ कर्दइस्लाम रा निहाद ज़े-सर-सब्ज़-ओ-ताज़ः शुद
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
सब्ज़ पोशां दर फराज़-ओ-दर फ़रूद ।जुमल: पोशीदंद अज़ मातम कबूद ।।
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
सबा-ओ-निक्हत-ओ-नस्रीन-ओ-नस्तरन हमः ऊस्तबहार-ओ-सब्ज़:-ओ-गुल गुंच:-ओ-चमन हमः ऊस्त
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
किस क़दर सर-सब्ज़ है सहरा मोहब्बत का तिरीअश्क की नहरें हैं और साए हैं नख़्ल-ए-आह के
सूफ़ीनामा आर्काइव
नज़्म
।। सन्तोष ।।
क्या ज़र्द में क्या सब्ज़ में क्या लाल में खुश हैं।।पूरे हैं वही मर्द जो हर हाल में खुश हैं ।।5।।
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
जब सें देखी है ख़त-ए-सब्ज़ में तेरे लब-ए-सुर्ख़तब सें सब्ज़े में छुपी पान की लाली ऐ शोख़