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सवैया
मुरली प्रभाव- बॉकी बिलोकनि रंगभरी रसखानि खरी मुसकानि सुहाई।
बाँकी बिलोकनि रंगभरी रसखानि खरी मुसकानि सुहाई।बोलत बोल अमीनिधि चैन महारस-ऐन सुनै सुखदाई।।
रसखान
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पद
साधना की सफलता- देव री सखी मोहिं उमंग बधाई। अब मेरे आनंद उर न समाई।।
कहा कहूं यह घड़ी सुहाई। सुरत हंसनी गइ है लुभाई।।शब्द गुरु धुन गगन सुनाई। अमी धार धुर से चल आई।।
शिवदयाल सिंह
पद
झूलति हैं नागरि नागरनट
झूलति हैं नागरि नागरनटनव पावस सुख सरस सुहाई जमुना पुलिन सभी बनसीबट
जुगल प्रिया
राग आधारित पद
राग सोरठ तिताला - सुंदर छवि छाजत राजत मोहन कहा कहौं रूप की निकाई
स्रवन कुंडल मकराकृत कटि पीत बसनहाथ लकुटिया मुरली मुख मधुर धुनि गावत सुहाई
तानसेन
सूफ़ी लेख
When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
सम्मेलन पत्रिका
पद
ख़ासी ये नरदेही रे बाबा आवनकी फेर नाहीं
ख़ासी ये नरदेही रे बाबा आवनकी फेर नाहींपाप पुन्न समभाग भया तव आपहि प्रगट सुहाई
देवनाथ महाराज
कवित्त
सर्द ते जल की ज्यों दिन तें कमल की ज्यों
घन तें सावन की ज्यों आप तें रतन की ज्योंगुन तें सुजन की ज्यों परम सुहाई है
चिंतामणि
सवैया
रूप प्रभाव और कुंज लीला - खंजन नैन फँदे पिंजर: छबि नाहि रहै थिर कैसे हुँ भाई
खंजन नैन फँदे पिंजर: छबि नाहि रहै थिर कैसे हुँ भाईछूटि गई कुलकानि सखी 'रसखानि' लखी मुसकानि सुहाई
रसखान
शबद
जोगिया तू कब रे मिलेगो आई
तेरे ही करन जोग लियो है घर घर अलख जगाईदिवस न भूख रैन नहिं निंद्रा तुझ बिन कुछ न सुहाई
मीराबाई
शबद
बिरह और प्रेम का अंग - सखी री करौं मैं कौन उपाई
काह जानि कै सुधि बिसराई कछु गति जानि न जाईमैं तौं दासी कलपौं पिय बिनु घर आँगन न सुहाई