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पद
सोहे शाम किशोर भोरा निज अंगन मो नाच नचावें
सोहे शाम किशोर भोरा निज अंगन मो नाच नचावेंरहा बतलावै अघोर
अनंत महाराज
सूफ़ी लेख
खुमाणरासो का रचनाकाल और रचियता- श्री अगरचंद नाहटा
तृतीय खंड के अंत में---- सोहे तपगछ कुल सिणगार पंडित पद्मविजय सिरदार।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
गूजरी सूफ़ी काव्य
जग का मोहन
कंधे सोहे कांबली रे सर पर सोहे ताजलटकत आवे नबी मोहम्मद जिस कारन मेराज
शैख़ बहाउद्दीन बाजन
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सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
देवावासी कृष्ण कन्हैया , वारिस अवध के अवध बिहारीसीस उधर लट घूंघर वाली, काँधे सोहे कमली कारी
सुमन मिश्रा
दकनी सूफ़ी काव्य
अमृत घड़ी में खुशियाँ तबल बजाये
सदक़े नबी कुतुबशाह तार्ई सोहे है खुशियाँजो इस खुशी अनन्द थे सब जग के तर्ई रिझाये
कुली कुतुब शाह
पद
प्रकीर्ण के पद - शिव मठ पर सोहै लाल ध्वजा
शिव मठ पर सोहै लाल ध्वजाकौन के सोहे हरी पीरी चुरियाँ कौन के सोहे भसम गोला
मीराबाई
पद
देखो देखो सखि रे छब बालाकी
मोर मुकुट मस्तक पर सोहे, बहुत लगी लड़ माला की ।माणिक के मन सुमरत बाला, फासा कटे भवजाला की ।।
मानिक महाराज
राग आधारित पद
मोरि बीस कटी बिन श्याम सुन्दर
हम जैसन पर फाग न सोहेहमरा पिया परदेसवा मा छाए
मुज़्तर ख़ैराबादी
पद
प्रेमालाप के पद - चलो मन गंगा जमुना तीर
बंशी बजावत गावत कान्हो संग लियाँ बलबीरमोर मुकुट पीताम्बर सोहे कुंडल झलकत हीर
मीराबाई
शबद
म्हाँने चाकर राखो जी गिरधारी लला चाकर राखो जी
मोर-मुकुट पीताम्बर सोहे गल बैजंती-मालाबृन्दाबन में धेनु चरावे मोहन मुरली वाला
मीराबाई
पद
मोहे प्यारे नंद-जी लाल गुपाल संतन पाल
अभेद भगती शांती सोहे गर नो है वनमाल'अनंत' अनुभव निजकौ प्रेमा छूटो भव विकराल
अनंत महाराज
काफी
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
क्या तेरी माँग संधूर भरी सोहे रतड़ा चोलापई वांग समीं मैं कूकदी कर ढोला ढोला
बुल्ले शाह
पद
स्वजीवन के पद - अब 'मीराँ मान लीजियो म्हारी हो जी थाने सखियाँ बरजे सारी
कँवर पाटवी सो भी बरजे और सहेलियाँ सारीशीस फूल सिर ऊपर सोहे बिंदली शोभा भारी