अहमद कि अहद मैं क्या समझूँ ये कौन है मीम की चिलमन में
अहमद कि अहद मैं क्या समझूँ ये कौन है मीम की चिलमन में
शब्बीर साजिद मेहरवी
MORE BYशब्बीर साजिद मेहरवी
अहमद कि अहद मैं क्या समझूँ ये कौन है मीम की चिलमन में
हैरत की है जा साया भी नहीं लगता भी है इंसाँ देखन में
तोरे नाम से सब संसार हुआ तोरे नाम से बेड़ा पार हुआ
अल्लाह भी है तोरे गुण गाए क़ुरआँ आया तोरी शानन में
लौलाक की पगड़ी सर सोहे ताहा सेहरा माथे पे सजे
वल्लैल की ज़ुल्फ़ें काँधों पर मा-ज़ाग़ा का कजरा नैनन में
तोहे याद करत मोरा अंग-अंग है मोरा भाग सुहाग तोरे संग है
इक बार जो आ मोरे आँगन में हो जाऊँ सुहागन सखियन में
तैबा के सजीले साँवरिया लिल्लाह मुझे अब दरस दिखा
बिन दर्शन मर न जाऊँ कहीं मोरा जीवन है तोरे दर्शन में
मोहे बिरहा पिया की मार गई पिया जीत गए मैं हार गई
मैं हार के भी बलिहार गई ऐसो प्रेम बसा मोरे तन-मन में
मैं नीच कमीनी और पापन महाराज तोरी ऊँची शानन
तोरी लाज पे मान करत हूँ मैं गुन कोई नहीं है बे-गुन में
मोहे देस 'अरब मन भावत है मोहे याद मदीना आवत है
बे-ज़र बे-पर की कूक सुनो 'साजिद' को बुला लो चरनन में
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