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राग आधारित पद
कोई पहनो सुहागन हरी-हरी चुड़ियाँ
कोई पहनो खिलाड़न हरी हरी चुड़ियाँहरी-हरी चूड़ियाँ सुर्ख़ चुँदरिया
अब्र मिर्ज़ापुरी
दोहा
हरी हरी करुना करी सुनी जो सब ना टेर
हरी हरी करुना करी सुनी जो सब ना टेरजग डग भरी उतावरी हरी करी की बेर
रहीम
ना'त-ओ-मनक़बत
अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी
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कुंडलिया
जाकी धन धरती हरी, ताहि न लीजै संग।
कह गिरिधऱ कविराय, खटक जैहै नहिं ताकी।अरि समान परिहरिय, हरी धन धरती जाकी।।
गिरिधर कविराय
कवित्त
सीतहि लेहि महाघन देय कहौ हित राम रमेश हरी है ।
सीतहि लेहि महाघन देय कहौ हित राम रमेश हरी है ।जो नहिं मानहुगे मति मोर तु आपति भाँति अथाह भरी है ।।
चंद्रकला बाई
कलाम
तिरी मी’आद-ए-ग़म पूरी हुई ऐ ज़िंदगी ख़ुश होक़फ़स टूटे न टूटे मैं तुझे आज़ाद करता हूँ
हरी चाँद अख़्तर
दोहा
हरै पीर तापैं हरी बिरद् कहावत लाल
हरै पीर तापैं हरी बिरद् कहावत लालमो तन में वदन भरी सो नहिं हरी 'जमाल'
जमाल
पद
विरह के पद - हरी बिना ना सरे री माई मेरा प्राण निकस्या जात हरी बिन न सरे री माई
हरी बिना ना सरे री माई मेरा प्राण निकस्या जात हरी बिन ना सरे री माईमीन दादुर बसत जल में जल से उपजाई।
मीराबाई
शे'र
सुकून-ए-मुस्तक़िल दिल बे-तमन्ना शैख़ की सोहबतये जन्नत है तो इस जन्नत से दोज़ख़ क्या बुरा होगा
हरी चंद अख़्तर
पद
प्रेमालाप के पद तनक हरी चितवौजी मोरी ओर
तनक हरी चितवौजी मोरी ओरहम चितवत तुम चितवत नाहीँ दिल के बड़े कठोर
मीराबाई
दोहा
पिय फूले तैं हूँ हरी पिया हरैं हूँ डाल
पिय फूले तैं हूँ हरी पिया हरैं हूँ डालपिया मो हु मो में पिया इक ह्वै रहे 'जमाल'
जमाल
शे'र
ब-रोज़-ए-हश्र हाकिम क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदा होगाफ़रिश्तों के लिखे और शैख़ की बातों से क्या होगा