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सूफ़ी कहावत
ता परीशान न शवद कार बासामान नरसद
जब परेशानी हद से ज़्यादा बढ़ जाती है, तब वह ठीक हो जाती है
वाचिक परंपरा
सूफ़ी कहावत
हर कुजा तू बा मनी, मन ख़ुशदिलम, वर बूवद दर क़ा'र चाही मंज़िलम।
मुझे खुशी है जहाँ तू मेरे साथ है, चाहे मुझे कुएँ की गहराई में रहना पड़े।
वाचिक परंपरा
राग आधारित पद
राग टोड़ी चौताल - तैं कहुँ देख्यौरी आली नन्द-नन्दन कुँवर कान्ह
तैं कहुँ देख्यौरी आली नन्द-नन्दन कुँवर कान्हमटुकी झटकि-कै पटक गयौ री
तानसेन
बैत
ख़्वाजा-ए-हिंद वो दरबार है आ'ला तेरा
ख़्वाजा-ए-हिंद वो दरबार है आ'ला तेराकभी महरूम नहीं माँगने वाला तेरा
हसन रज़ा बरेलवी
सूफ़ी कहावत
चुँ यार अहल अस्त, कार सहल अस्त
जब हमारे साथी क्षमता रखने वाले होते हैं तो काम आसान हो जाता है।
वाचिक परंपरा
राग आधारित पद
रागिनी टोड़ी चौताल - तैं कहुँ देख्यौरी बनमाली आली बंसी बजाय मन लै गयौ
तैं कहुँ देख्यौरी बनमाली आली बंसी बजाय मन लै गयौधुनि सुनि कल न परत निसि-दिन उन बिन
तानसेन
पद
विरह के पद - नींद तोहि बेचो री आली जो कोई गाहक होय
नींद तोहि बेचो री आली जो कोई गाहक होयपसे सेर जो टके पसेरी रूपये के मन दोय
मीराबाई
पद
विरह के पद - मैं बिरहणि बैठी जागूँ जगत सब सोवैरी आली
मैं बिरहणि बैठी जागूँ जगत सब सोवैरी आलीबिरहणि बैठी रंग-महल में मोतियन की लड़ पोवै
मीराबाई
शबद
मैं बिरहिन बैठी जागूँ जगत सब सोबै री आली
मैं बिरहिन बैठी जागूँ, जगत सब सोबै री आलीमैं बिरहिन बैठी जागूँ, जगत सब सोबै री आली
मीराबाई
ना'त-ओ-मनक़बत
दिल को लुभा रहा है हर कार चिश्तियों कादिलचस्प किस क़दर है दरबार चिश्तियों का