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फ़ारसी कलाम
गुफ़्ता कि ई तु बा मा गुफ़्तम कमीं गु़लामतगुफ़्ता मगर तु मस्ती गुफ़्तम बले ज़े जामत
शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी
कलाम
अपनी निगाह-ए-शौक़ को रोका करेंगे हमवो ख़ुद करें निगाह तो फिर क्या करेंगे हम
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
फ़ारसी कलाम
अगर बीनम शबे नागाह आँ सुल्तान-ए-खूबाँ रासर अंदर पा-ए-ऊ आरम फ़िदा साज़म दिल-ओ-जाँ रा
बू अली शाह क़लन्दर
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ बाद-ए-मुश्क-बू ब-गुज़र सू-ए-आँ-निगारब-कुशा गिरह ज़े-ज़ुल्फ़श व बू-ए-ब-मन बयार
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ ख़ुश आँ रोज़े कि मा बा यार-ए-खुद ख़ुश बूद:-एमबादः-नोशाँ ज़ाँ लब-ए-ला'ल-ए-शक्कर-वश बूदः-ऐम
अमीर ख़ुसरौ
बैत
'ज़ौक़' जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्ला
'ज़ौक़' जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्लाउन को मय-ख़ाने में ले आओ सँवर जाएँगे
इब्राहीम ज़ौक़
शे'र
दीवानः शुद ज़ू इ’श्क़ हम नागह बर-आवर्द आतिशीशुद रख़्त-ए-शहरी सोख़त: ख़ाशाक-ए-ईं वीरानः हम
अमीर ख़ुसरौ
रूबाई
मुतलक़ से मुक़य्यद पर है आशिक़ की निगाहवाजिब से ही मुमकिन को मैं समझा बिल्लाह