परिणाम "dars-e-amal"
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आमना अमल इदरीसी
वो अ’जब घड़ी थी मैं जिस घड़ी लिया दर्स नुस्ख़ा-ए-इ’श्क़ काकि किताब अक़्ल की ताक़ पर जूँ धरी थी त्यूँ ही धरी रही
अव्वल ख़लल ऐ ख़्वाजः तुरा अंदर अमल आयदफ़र्दा कि ब-पेश-ए-तू रसूल-ए-अजल आयद
नेक-ओ-बद दो ही अमल जाते हैं दम के साथ साथक़ब्र में शामिल मेरे ये बन के रहबर दो गए
पोस्ती क्यूँ रोयाचौकीदार क्यूँ सोया
दर्स-ए-अमलدرس عمل
lesson to act;action
Tasawwuf Ka Pahla Dars Taskeen-e-Ehsan
ख़्वाजा हसन निज़ामी
1924
Taqleed Aur Amal Bil Hadees
मोह्सिन्नुल मुल्क
धर्म-शास्त्र
1909
Amal Nama
सर सैयद रज़ा अली
1943आत्मकथा
Irshadat-e-Shaikh Jeelani Aur Hamare Aamal
मोहम्मद हनीफ़ यज़दानी
1968धर्म-शास्त्र
Rasail-e-Shah Waliullah R. A.
A Maldives Celebration
रोयसटन एलिस
1997
Maqaam-e-Mulla Faqeer R. A.
शब्बीर हसन ख़ाँ
1991सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
A Gazetteer of Kashmir
चार्ल्स एलिसन बैट्स
1980
Lucknow A Gazetteer
अननोन ऑथर
1904
At A Glance
शौकत अली ख़ान
1990टिप्पणी
तारीख़-ए-रसूल
1948
Rasail Shah Waliullah Dehalvi R. A.
शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी
1999
Lawaih A Treatise on Sufism
नूरुद्दीन अब्दुर रहमान जामी
1906
A History Of India Muntakhabut-Tawareekh
अबदुल क़ादिर इबन-ए-मुलूक शाह
1990
वह जो ज्ञान प्राप्त करता है और उस पर अमल नहीं करता, वह ऐसे है जो ज़मीन तो जोतता है (बैल चलाता है) परन्तु बीज नहीं बोता।
सहरश गुल के इस्ति’आरे हैंहर तरफ़ यार के नज़ारे हैं
बा'द तेरे भी क्या कभी होगीये मोहब्बत तो आख़िरी होगी
आदमी का ख़राब हो जानाया'नी ’इज़्ज़त-मआब हो जाना
यही ईमान है अपना यही अपना अ’मल 'काविश'सनम के इक इशारे पर हर इक शय को लुटा देना
साँस से जिस्म लड़ रहा है मिराहाँ तनफ़्फ़ुस बिगड़ रहा है मिरा
ख़ामोश ही रहते हैं शिकायत नहीं करतेआँसू ये मिरे मुझ से बग़ावत नहीं करते
मय ख़ुर कि न 'इल्म दस्त गीरद न 'अमलइल्ला करम-ओ-रहमत-ए-हक़-ए-’अज़्ज़-ओ-जल
'इश्क़ दुश्वार है हमारे बीचहाँ मगर प्यार है हमारे बीच
हद से बढ़ जाती है ग़मी अक्सररास आती नहीं ख़ुशी अक्सर
हयात मेरी तुम्हारे ही ग़म शुमार करेदिल शिकस्ता भी हर वक़्त ज़ार-ज़ार करे
बैठे हुए हैं राह में तूफ़ाँ लिए हुएहम दिल में एक शहर-ए-बयाबाँ लिए हुए
'इश्क़ में क्या हैं मफ़ादात तुम्हें क्या मा'लूमहैं जुदा उस की रिवायात तुम्हें क्या मा'लूम
ईमान में शिगाफ़ 'अमल में ख़लल पड़ापर्दे से जब वो नूर-ए-मुजस्सम निकल पड़ा
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