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बैत
मुर्शिद के फ़ैज़ से तिरा नाम-ओ-वक़ार है
मुर्शिद के फ़ैज़ से तिरा नाम-ओ-वक़ार हैतुझ से को वर्ना कोई कभी पूछता न था
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
शबद
अब चली पिया के देश मगन भई मद माती
अब चली पिया के देश मगन भई मद मातीपिया तुम बिन बहुत ख़्वार भरम में बह जाती
घीसा साहेब
गूजरी सूफ़ी काव्य
सुनियो सखी मेरा बचन हरेक मनें पिउ का राज़ है
सुनियो सखी मेरा बचन हरेक मनें पिउ का राज़ हैदिल से तुमें मानो यक़ीं हर ज़र्रा जियूँ 'हल्लाज' है
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
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गूजरी सूफ़ी काव्य
नैनो की ज्योत पिउ होए मेरा नैनों उपर है फूल तूँ
नैनो की ज्योत पिउ होए मेरा नैनों उपर है फूल तूँक्यूँ-कर पिया देखेगा तूँ मुझ से तू छे कितना भला
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
गूजरी सूफ़ी काव्य
पिउ है मेरा भी जा-ब-जा जैसा कि रोग़न शीर में
पिउ है मेरा भी जा-ब-जा जैसा कि रोग़न शीर मेंअक़दस कहे मैं हूँ पिया ख़ुश-हाल हो हँसना भला
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
बैत
लेते हैं नाम 'असर' का सब यार दोस्तों
लेते हैं नाम 'असर' का सब यार दोस्तोंशायद किसी पुराने आ'शिक़ का नाम है
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
शबद
ऐसा देश हमारा है जहाँ कोई मरता नहीं
ऐसा देश हमारा है जहाँ कोई मरता नहींवहाँ रंग तमाशे हैं शौक़ कोई करता नहीं
ईष्वरदास
शबद
वो देश दिवाना जी पहुँचै कोई सन्त जना
वो देश दिवाना जी पहुँचै कोई सन्त जनावहाँ अनहद बाजै जी चल रही सुखमना
ईष्वरदास
ना'त-ओ-मनक़बत
मेरे पीर शहबाज़ मोहम्मद सब की आँखों के तारेवली के जानी 'अली के दिलबर नबी के राज-दुलारे
इश्तियाक़ आलम शहबाज़ी
नज़्म
वतन के मुहाफ़िज़ का पैग़ाम अपनी माँ के नाम
अब मुझे देश के दुश्मन का लहू पीना हैदामन-ए-जेब-ओ-गरेबाँ को अभी सीना है
अज़ीज़ वारसी देहलवी
बैत
साहिब-ए-नज़राँ 'इश्क़' मिरा नाम है मशहूर
साहिब-ए-नज़राँ 'इ'श्क़' मिरा नाम है मशहूरगो आँखों से पोशीदा हूँ पर दिल से 'अयाँ हूँ
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
गूजरी सूफ़ी काव्य
तुज सें मेरे नज़दीक है लालन तू क्यूँ नीं पूछता
तुज सें मेरे नज़दीक है लालन तू क्यूँ नीं पूछताडूबा ख़ुदी के गच में पास तूँ है दलदल ऐ सखी
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
ना'त-ओ-मनक़बत
डॉ. शाह ख़ुसरौ हुसैनी
बैत
जब नहीं तू तो तिरा नाम भी क्यूँ
जब नहीं तू तो तिरा नाम भी क्यूँक़ल्ब से तेरी हर इक छाप मिटे
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
गूजरी सूफ़ी काव्य
लालन मेरे जीवे-मरे इस दो से भी है पाक पिउ
लालन मेरे जीवे-मरे इस दो से भी है पाक पिउमोजाँ मरे-जीवे देखो पानी अबद जीता है ख़ूब
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
गूजरी सूफ़ी काव्य
चोरो प्यादा कोटवाल क्या मस्त अपस के काम में
चोरो प्यादा कोटवाल क्या मस्त अपस के काम मेंलूली भी मस्त बद-कार मस्त काहिर भी मस्त मक़्दूर मस्त