मेरे पीर शहबाज़ मोहम्मद सब की आँखों के तारे
रोचक तथ्य
منقبت در شان حضرت شہباز محمد (بھاگل پور-بہار)
डूबती कश्ती आप तैराएँ बेड़ा पार लगाएँ
जिस को चाहें वली बनाएँ ख़ुदा के भेद बताएँ
'इल्म-ए-नबी का आप हैं सूरज पोत हैं चाँद सितारे
मेरे पीर शहबाज़ मोहम्मद सब की आँखों के तारे
वली के जानी 'अली के दिलबर नबी के राज-दुलारे
नाम रसूल-ए-पाक ने रखा मौलाना शहबाज़ वली
ख़ुर्मा खिलाएँ फ़ैज़-ओ-करम के तीन मरातिब मौला 'अली
नबी ने दी अंगुश्त-ए-शरी’अत साठ हदीस के पारे
मेरे पीर शहबाज़ मोहम्मद सब की आँखों के तारे
वली के जानी 'अली के दिलबर नबी के राज-दुलारे
देवरा-नगर में चाँद उगाओ हाजी ख़ैर बधाई
वारन दो ख़िताब मोहम्मद कैसी दौलत पाई
ग्यारह सदी का आया मुजद्दिद 'इल्म के फूटे धारे
मेरे पीर शहबाज़ मोहम्मद सब की आँखों के तारे
वली के जानी 'अली के दिलबर नबी के राज-दुलारे
कैसा हुसैनी फूल खिला है महके आँगन सारा
’अंबर धरती नाचे ख़ुशी से झूमे गली चौबारा
पंजतनी ख़ुश्बू के फ़िदाई जो ही बेला हज़ारे
मेरे पीर शहबाज़ मोहम्मद सब की आँखों के तारे
वली के जानी 'अली के दिलबर नबी के राज-दुलारे
- पुस्तक : Jalwa-e-Gul Lafz-ba-Lafz
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