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शबद
इतने धन को जोड जोड कर उस धन का तै ने क्या किया
इतने धन को जोड जोड कर उस धन का तै ने क्या कियाधन के मद में आके बंदे दुनिया में अन्याय किया
नेकीराम
पद
नाम-माहात्म्य के पद - राम रतन धन पायो मैया मैं ते राम रतन धन पायो
राम रतन धन पायो मैया मैं ता राम रतन धन पायोख़र्चे ना खूटे वाकूँ चोर न लूटे दिन दिन होत सवायो
मीराबाई
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शबद
पायो जी मैं ने नाम रतन-धन पायो
पायो जी मैं ने नाम रतन-धन पायोपायो जी मैं ने नाम रतन-धन पायो
मीराबाई
शबद
बिंती और प्रार्थना का अंग - प्रभू को तन मन धन सब दीजै
प्रभू को तन मन धन सब दीजैरैन दिवस चित अनत न जावै नाम पदारथ पीजै
गुलाल साहब
दोहरा
हेरत हेरत हे सखी हौं धन गई हिराय
हेरत हेरत हे सखी हौं धन गई हिरायपरया बूँद समुंद महँ कह क्यूँ हेरी जाय
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
गूजरी सूफ़ी काव्य
लोकाँ धन शह एक वजूद हैं
लोकाँ धन शह एक वजूद हैंफोकट मुँह हम कोई न बोलो
शाह अली जीव गामधनी
पद
काहे को मग़रूर फिरे है अपने दौलत धन से
काहे को मग़रूर फिरे है अपने दौलत धन सेकाहे को रखता है इस को ऐ मतहीन जतन से
कवि दिलदार
दोहा
विनय मलिका - तन मन धन मद राज मद अंत काल मिटि जाय
तन मद धन मद राज मद अंत काल मिटि जायजिन के मद तेरो प्रभू तेहिं जम काल डेराय
दया बाई
पद
चेतावनी का अंग - धन संचै तो सील का दूजा परम सँतोख
धन संचै तो सील का दूजा परम सँतोखज्ञान रतन भाजन भरो असल खजाना रोक
गरीब दास
पद
सद्गुरू-महिमा के पद - में तो राम जी रतन धन लास्याँ ये माँ
तन मन धन माता अर्पण करस्याँ येमें तो महँगी महँगी वस्तू मोलास्याँ ये माँ
मीराबाई
पद
नाम-माहात्म्य के पद - पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो
पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायोवस्तू अमोलक दी मेरे सत-गुरु किरपा कर अपनायो
मीराबाई
पद
ककहरा - फफ्फा फूलै फूले फिरें देखि धन धाम बड़ाई
फफ्फा फूलै फूले फिरें देखि धन धाम बड़ाईतन फुलेंल और तेल चाम को चुपरें भाई
तुलसी साहिब हाथरस वाले
कलाम
सईद आरफ़ी
शबद
'लाल' जी साधु ऐसा चाहिए धान कमा कर खाय
'लाल' जी साधु ऐसा चाहिए धान कमा कर खायहृदय हर की चाकरी पर घर कबहूँ न जाय
लालदास
पद
अपनी विरह-कथा - सावन मास मेघ घिर आये गरज-गरज धुन शब्द सुनाये
भागे जगे गुरु चरन निहारे अब कहूँ धन धन 'राधास्वामी' प्यारे
शालीग्राम
गीत
मन-धन मुरली मोहन की सब सुध-बुध बिसराईसखी सहेली संग की खेली तुम्हीं प्रित पहचानी