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सूफ़ी कहावत
हर कि गर्दन बदावा अफ़राज़द। दुश्मन अज़ हर तरफ़ बदू ताज़द।
वह जो अपने सर को दावे से ऊंचा उठाता है, उस पर सभी ओर से दुश्मन हमला कर सकते हैं।
वाचिक परंपरा
कलाम
आक़िल रेवाड्वी
ग़ज़ल
मोहब्बत से न देखो तुम तो दुश्मन की नज़र देखोख़फ़ा होकर बिगड़ कर रूठ कर देखो मगर देखो