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ना'त-ओ-मनक़बत
फ़िराक़-ओ-हिज्र के हालात-ए-ग़म का माजरा सुन लेगुज़रती है जो दिल पर ऐ शह-ए-हर-दोसरा सुन ले
शकील बदायूनी
शे'र
जल ही गया फ़िराक़ तू आतिश से हिज्र कीआँखों में मिरी रह न सका यारो इंतिज़ार
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
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शे'र
बेदम शाह वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
क्या कहूँ हिज्र है अच्छा कि विसाल अच्छा हैजिस में महबूब-ए-ख़ुदा ख़ुश हैं वो हाल अच्छा है
अरशद अमरोहवी
ग़ज़ल
मुझे इ’श्क़ ने ये सबक़ दिया कि न हिज्र है न विसाल हैउसी ज़ात का मैं ज़ुहूर हूँ ये जमाल उसी का जमाल है
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
शे'र
मुझे इ’श्क़ ने ये पता दिया कि न हिज्र है न विसाल हैउसी ज़ात का मैं ज़ुहूर हूँ ये जमाल उसी का जमाल है
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
फ़ारसी कलाम
खस्त:-ए-हिज्र गश्त:-अम बा तू विसालम आरज़ूस्ततीरः शुदः अस्त चश्म-ए-मन नूर-ए-जमालम आरज़ूस्त