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दोहा
'रहिमन' अपने पेट सो बहुत कह्यो समुझाय
'रहिमन' अपने पेट सो बहुत कह्यो समुझाय
जो तू अनखाए रहे तोसों को अनखाय
रहीम
सलोक
फ़रीदा राती सोवह खट्ट डीहे पिटहं पेट कूँ
फ़रीदा राती सोवह खट्ट डीहे पिटहं पेट कूँ
जा तउं खट्टन वेल तडाहीं ते सउं रहआ
बाबा फ़रीद
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सवैया
मुस्कान माधुरी - मैन-मनोहर वन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा है
मैन-मनोहर वन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा है
यौ दमकै चमकै झमकै दुति दामिनि की मनौ स्याम घटा है
रसखान
कलाम
मंज़ूर आरफ़ी
साखी
पतिब्रता का अंग - सब आये उस एक में डार पात फल फूल
सब आये उस एक में डार पात फल फूल
अब कहो पाछे क्या रहा गहि पकड़ा जब मूल
कबीर
दोहा
रूप कथा पद चारु पट कंचन दोहा लाल
रूप कथा पद चारु पट कंचन दोहा लाल
ज्यों ज्यों निरखत सूक्ष्म गति मोल 'रहीम' बिसाल
रहीम
होली
मोरी बाँके बिहारी पत लीन्ही
ओढ़ गवा भाग और जर गई मोरी कुबिजा से मैं क्या रे कहौं री
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
पद
बिधाभरी दंदुल पेट उस पर साप की लपेट
बिधाभरी दंदुल पेट उस पर साप की लपेट
विघन करत है चपेट पकड़ फेट कालकी
गोंदा महाराज
पद
ककहरा - घघ्घा घर भूले सब बाट घाट घट ना मिलै
घघ्घा घर भूले सब बाट घाट घट ना मिलै
आद पुरूष पद छाँड़ि काल घर को चलै
तुलसी साहिब हाथरस वाले
राग आधारित पद
राग पूर्वी चौताल - मोर मुकट पीत बसन सोहत मोहन नवल छैल नंदलाल
मोर मुकट पीत बसन सोहत मोहन नवल छैल नंदलाल
जमुना के तट-तट नट ज्यौं नाचत गावत तान रसाल
तानसेन
दोहा
पीतम पत तुम हाथ है दुखियन के राज
पीतम पत तुम हाथ है दुखियन के राज
'अमीनुद्दीन' पे कृपा करो लाज रक्खो महाराज
अमीनुद्दीन वारसी
दोहा
मैं निर्गुणी प्रतिपाल पत सदा आस तुम पास
मैं निर्गुणी प्रतिपाल पत सदअन आस तुम पास
नियरे रहो दयाल सत जस फूलन मा बास
अमीनुद्दीन वारसी
पद
घट घट साहिया रे अजब अलामिया रे
घट घट साहिया रे अजब अलामिया रे
ये हिन्दु मुसलमाना दोनों चलावे पछाने सो भावे
समर्थ रामदास
ग़ज़ल
किस सौतन संग पीत लगाई किस सौतन के द्वार गए
तकते तकते राह तुम्हारी नैन हमारे हार गए