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गूजरी सूफ़ी काव्य
दुनिया के सिर मैं तुझ कहूँ, दुनिया ख़याल-ओ-ख़्वाब है
दुनिया के सिर मैं तुझ कहूँ दुनिया ख़याल-ओ-ख़्वाब हैजग ख़्वाब है इस ख़्वाब की ता'बीर कहना हक़ भला
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
कुंडलिया
खसम मुआ तौ भल भया सिर की गई बलाय
खसम मुआ तौ भल भया सिर की गई बलायसिर की गई बलाय बहुत सुख हम ने माना
पलटू साहेब
ना'त-ओ-मनक़बत
हों बार-ए-गुनह से ख़जिल-ए-दोश-ए-'अज़ीज़ाँलिल्लाह मिरी ना'श कर ऐ जान-ए-चमन फूल
अहमद रज़ा ख़ान
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साखी
बिरह का अंग - दादू आसिक रब्ब दा सिर भी देवै लाही
दादू आसिक रब्ब दा सिर भी देवै लाहीअल्लाह कारणि आप कौं साँडै अंदरि भाहि
दादू दयाल
दोहा
रहिमन जा डर निसि परै ता दिन डर सिर कोय
रहिमन जा डर निसि परै ता दिन डर सिर कोयपल पल करके लागते देखु कहाँ धौं होय
रहीम
दोहरा
केही प्रेम जड़ी सिर पाई
केही प्रेम जड़ी सिर पाई मेरा दिल जानी खस्स लीतानैना नक्क सूई दे वांगू मेरा दिल सोहने नाल सीता
हाशिम शाह
चौपाई
गुरु के प्रेम पंथ सिर दीजै
गुरु के प्रेम पंथ सिर दीजै आगा पीछा कबहुँ न कीजैगुरु के पंथ होय सो होई मारग आन चलौ मत कोई
सहजो बाई
शबद
सिर पर चक्कर चढा काल का आन सधी अब वही घड़ी
सिर पर चक्कर चढा काल का आन सधी अब वही घड़ीयम के दूत तेरे घट को रोकें दम तेरै पै भीड़ पड़ी
नेकीराम
सलोक
फ़रीदा तत्ते ठंडे वंवसनि सिर तांन जो अडी
फ़रीदा तत्ते ठंडे वंवसनि सिर तांन जो अडीजे लोड़हं दीदार नो ताँ तन धर तल गडी
बाबा फ़रीद
सवैया
बाल-लीला - धूरि भरे अति सोभित श्यामजू तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी
धूरि भरे अति सोभित श्यामजू तैसी बनी सिर सुन्दर चोटीखेलत खात फिरै अंगना पग पैजनी बाजति पीरी कछोटी