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सूफ़ी कहावत
ता परीशान न शवद कार बासामान नरसद
जब परेशानी हद से ज़्यादा बढ़ जाती है, तब वह ठीक हो जाती है
वाचिक परंपरा
सूफ़ी कहावत
हर कुजा तू बा मनी, मन ख़ुशदिलम, वर बूवद दर क़ा'र चाही मंज़िलम।
मुझे खुशी है जहाँ तू मेरे साथ है, चाहे मुझे कुएँ की गहराई में रहना पड़े।
वाचिक परंपरा
सूफ़ी कहावत
चुँ यार अहल अस्त, कार सहल अस्त
जब हमारे साथी क्षमता रखने वाले होते हैं तो काम आसान हो जाता है।
वाचिक परंपरा
ना'त-ओ-मनक़बत
दिल को लुभा रहा है हर कार चिश्तियों कादिलचस्प किस क़दर है दरबार चिश्तियों का