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गूजरी सूफ़ी काव्य
ख़ुदा ख़ुदा और बंदा बंदा
ख़ुदा ख़ुदा और बंदा बंदाबंदा ख़ुदा न कहिया जावे
शाह अली जीव गामधनी
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा मीर दर्द और उनका जीवन
दिल्ली शहर को बाईस ख्व़ाजा की चौखट भी कहा जाता है। इस शहर ने हिन्दुस्तानी तसव्वुफ़
सुमन मिश्र
कलाम
मैं अपने साक़ी का बंदा हूँ और क्या जानूँउसी के जाम का मारा हूँ और क्या जानूँ
शाह तक़ी राज़ बरेलवी
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सूफ़ी लेख
क़व्वाली में तसव्वुफ़ की इबतिदा और ग़ैर मुस्लिमों की दिलचस्पी और नाअत की इबतिदा
तसव्वुफ़ एक ऐसा मौज़ू’ है जिसमें सारी ख़ल्क़ को ख़ालिक़ की जानिब रुजू’ होने का पैग़ाम
अकमल हैदराबादी
ग़ज़ल
खुला दरवाज़ा मेरे दिल पे अज़-बस और आ'लम कान अंदेशा है शादी का मुझे ने फ़िक्र है ग़म का
ख़्वाजा मीर दर्द
कलाम
यूँ तो बंदे का ज़माने में है बंदा 'आशिक़पर ख़ुदा भी कहीं होता है किसी का 'आशिक़