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क़िता'
इ'श्क़ वो लौ है कि जल उठते हैं नन्हे से दिएइ'श्क़ वो लौ है कि परवाने का बाल-ओ-पर जले
अब्दुल लतीफ़ शौक़
कलाम
ऐ शो’ला-ए-जवाला जब से लौ तुझ से लगाए बैठे हैंइक आग लगी है सीने में और सब से छुपाए बैठे हैं
कामिल शत्तारी
ना'त-ओ-मनक़बत
लौ मदीने की तजल्ली से लगाए हुए हैंदिल को हम मतला-ए'-अनवार बनाए हुए हैं
पीर नसीरुद्दीन नसीर
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ग़ज़ल
ये कौन आया कि धीमी पड़ गई लौ शम्अ' कीपतंगों के 'एवज़ उड़ने लगीं चिंगारियाँ दिल की
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
सलाम
मदीने वाले हुज़ूर-ए-अनवर सलाम ले लो सलाम ले लोग़रीब उम्मत के प्यारे रहबर सलाम ले लो सलाम ले लो
हुनर सिल्लोडी
दोहा
'औघट' बाजें राम के बाजन सुन लो सीस झुकाय
'औघट' बाजें राम के बाजन सुन लो सीस झुकायआसन मारो सबद को साधू मन से ध्यान लगाय
औघट शाह वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
लो मेरी ख़बर बहर-ए-क़मर हज़रत-ए-सज्जादहो जल्द तवज्जोह की नज़र हज़रत-ए-सज्जाद
शैख़ इद्रीस चिश्ती
पद
ऐसा लो नहिं तैसा लो मैं केहि विधि किथों गँभीरा
ऐसा लो नहिं तैसा लो मैं केहि विधि किथों गँभीराभीतर कहूँ तो जग मय लाजै बाहर कहूँ तो झूठा लो
कबीर
ना'त-ओ-मनक़बत
घिरा हूँ मैं मुसीबत में बचा लो या रसूल-अल्लाहमेरी बिगड़ी हुई दुनिया बना दो या रसूल-अल्लाह
नक़ीबुल रहमान हसनी
शे'र
यहाँ इग़्माज़ तुम कर लो वहाँ देखेंगे महशर मेंछुड़ाना ग़ैर से दामन को और मुझ से गरेबाँ को