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'ख़ुसरौ' 'निजाम' के बल-बल जइएमोहे सुहागन कीन्हीं रे मोसे नैनाँ मिलाय के
'ख़ुसरौ' ब-कमंद-ए-तू असीरस्तबे-चार: कुजा रवद ज़े कूयत
Sufi Ameer Khusrau
सय्यद सबाहुद्दीन अब्दुर्रहमान
2009सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Ameer Khusrau
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
1992जीवनी
अमीर ख़ुसरो
शैख़ सलीम अहमद
1975सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
1980सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Deewan-e-Kamil Ameer Khusro Dehlvi
1964शाइरी
Amir Khusrau Memorial Volume
अननोन ऑथर
1975
Amir Khusrau
मौलाना फ़ख़रुद्दीन अहमद
Ameer Khusru
वहीद मिर्ज़ा
1986जीवनी
Ameer Khusro
1949जीवनी
Kulliyat-e-Hazrat Ameer Khusroo
हाजी मोहम्मद इसहाक़ ख़ाँ
1915शोध एवं समीक्षा
Ameer Khushro
2006जीवनी
Hayat-e-Hazrat Ameer Khusro
नक़ी मोहम्मद ख़ान ख़ूरजवी
1956जीवनी
Sufi Ameer Khusro
ब-यक आमदन रुबूदी दिल-ओ-दीन-ओ-सब्र-ए-'ख़ुसरौ'चे शवद अगर ब-दीं-सा दो-सेह बार ख़्वाही आमद
'ख़ुसरौ' अज़ तू पनाह मी-जोयदऐ पनाह-ए-मन-ओ-पनाह-ए-हमः
बारे अंदेशः-ए-'खुसरौ' मी-कुनकि ब-हक़ जुम्लः जहान-ए-नमक अस्त
हलवाई और पायजामे में क्या निस्बत हैकंदा
कपड़े और दरिया में क्या निस्बत हैपाट
अँगरखे और पेड़ में क्या निस्बत हैकली
धूप लगे वो पैदा होय छाँव देख मुरझाएऐ री सखी मैं तुझ से पूछूँ हवा लगे मर जाए
गोटे और आफ़्ताब में क्या निस्बत हैकिरन
मकान और अनाज में क्या निस्बत हैकंगनी
आना-जाना उस का भाएजिस घर जाए लकड़ी खाए
चालीस मन की नार रखावे सूखी जैसी तीलीकहने को पर्दे की बेली पर वो रंग-रंगीली
अपनी छवि बनाय के जो मैं पी के पास गईजब छवि देखी पीहू की तो अपनी भूल गई
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