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सूफ़ी कहावत
हर रोज़ ईद नीस्त कि हलवा खुरद कसी
हर दिन ईद का त्योहार नहीं होता कि हल्वा खाया जाए।
वाचिक परंपरा
सूफ़ी शब्दावली
शे'र
अज़ीज़ वारसी देहलवी
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ना'त-ओ-मनक़बत
अपना दिखा दे मुझ को अब तो जमाल ख़्वाजाहो जाए मुझ को हासिल तेरा विसाल ख़्वाजा
फ़तहुल्लाह मिज़ाज
नज़्म
ईदी ईद-उल-फ़ित्र
रोज़ा-दारों की ज़बाँ पर नग़्मः-ए-तौहीद हैशादमानी से शगुफ़्तः ग़ुंचः-ए-उम्मीद है
अकबर वारसी मेरठी
कलाम
अल्लामा इक़बाल
शे'र
इ’श्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इश्क़आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इ’श्क़
बेदम शाह वारसी
शे'र
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
ख़्वाजा शायान हसन
शे'र
अदा-ओ-नाज़-ए-क़ातिल हूँ कभी अंदाज़-ए-बिस्मिल हूँकहीं मैं ख़ंदः-ए-गुल हूँ कहीं सोज़-ए-अनादिल हूँ