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शे'र
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
राज़-ए-सर-बस्ता मोहब्बत के ज़बाँ तक पहुँचेबात बढ़ कर ये ख़ुदा जाने कहाँ तक पहुँचे
हफ़ीज़ होश्यारपुरी
ना'त-ओ-मनक़बत
तोरी दरसन मां ख़्वाजा भोर भई मोरा चैन गया मोरी नींद गईतनू न खबरावा मोर लई मोरा चैन गया मोरी नींद गई
मोहम्मद ख़ान निशात
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शे'र
मोहब्बत के एवज़ रहने लगे हर-दम ख़फ़ा मुझ सेकहो तो ऐसी क्या सरज़द हुई आख़िर ख़ता मुझ से
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
मोहब्बत के एवज़ रहने लगे हर-दम ख़फ़ा मुझ सेकहो तो ऐसी क्या सरज़द हुई आख़िर ख़ता मुझ से
हसरत मोहानी
कलाम
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
मोहब्बत की नज़र करती है इक्सीर-ए-नज़र पैदामोहब्बत हो तो हो जाते हैं दिल पैदा जिगर पैदा
आरज़ू सहारनपुरी
ग़ज़ल
मोहब्बत में मोहब्बत की क़सम ऐसा भी होता हैकि दिल रोता है और हँसते हैं हम ऐसा भी होता है