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नज़्म
ऐसी केहिन बर जोरि स्याम मेरी बहियाँ मरोरि
हाथ जोर नबती कर थाकि रंग पे रंग झयोरीनौज खेलूँ ऐसी होरी
जंगली शाह वारसी
दोहरा
हम निज आये सुरग तें फैं निज सुरघहिं जाहिं
हम निज आये सुरग तें फैं निज सुरघहिं जाहिंरहन हमारे साइयाँ ईहाँ कबहि रहाहिं
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
रूबाई
अमानत नाज़ करती है सदाक़त नाज़ करती हैशुजा’अत नाज़ करती है सख़ावत नाज़ करती है
शाह ज़फ़र सज्जाद दानापुरी
होरी
होरी होइ ऐ ननदिया की माती
होरी होइ ऐ ननदिया की मातीचहूँ और फाग की धूम मची है घर घर रंग रचो री
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
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बसंत
श्याम सुंदर की जब सुध आई सरसों फूली आँखों मेंकुछ का कुछ है देत दिखाई सरसों फूली आँखों में
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
गीत
मध में समाई जोश में आई देखो जी अब उबले हैसमुँद बंद में डुबकी खाई देखो जी अब उछले है
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
होरी
मैं तो बौरी भई सुन ऐ री सखियाँ बिरहा कीनो जोर
मैं तो बौरी भई सुन ऐ री सखियाँ बिरहा कीनो जोरतारी मोहे अंगारे लागैं धुआँ-धार भय भोर
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
नज़्म
आया फागुन होरी खेलन
उमगू जोबनवा कैसे कर राखूँ सँभारअम्बवा बोरे टेसू फूले बिरन बिरन की बहार
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
नज़्म
सरसों फूली आँखों में
श्याम सुंदर की जब सुध आई सरसों फूली आँखों मेंकुछ का कुछ है देत दिखाई सरसों फूली आँखों में
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
नीस्ती हस्ती है यारो और हस्ती कुछ नहींबे-ख़ुदी मस्ती है यारो और मस्ती कुछ नहीं
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
होरी
सुन मोरी सजनी रुत फागुन की है बहार
सुन मोरी सजनी रुत फागुन की है बहारहोरी खेले धूम मचावे नाचे दे दे तार
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
गीत
मन-धन मुरली मोहन की सब सुध-बुध बिसराईसखी सहेली संग की खेली तुम्हीं प्रित पहचानी
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
नीस्ती हस्ती है यारो और हस्ती कुछ नहींबे-ख़ुदी मस्ती है यारो और मस्ती कुछ नहीं