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ग़ज़ल
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ना'त-ओ-मनक़बत
खड़ा है दर पर तुम्हारे मंगता शकूर बाबा'अता हो ख़ैर-उल-वरा का सदक़ा शकूर बाबा
हाफ़िज़ ख़ुर्शीद आलम
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सूफ़ी लेख
सुफ़ियों का भक्ति राग
तसव्वुफ मुसलमानों के नज़दीक मज़हब के आंतरिक पक्ष का नाम है। इससे तात्पर्य वह तपस्या और
ख़ुर्शीद आलम
ना'त-ओ-मनक़बत
आओ तो आओ देखो जल्वा सदरुद्दीन बुख़ारी काआज उठा है रुख़ से पर्दा सदरुद्दीन बुख़ारी का
हाफ़िज़ ख़ुर्शीद आलम
फ़ारसी कलाम
हंगाम-ए-ज़ुह्द-ओ-तौबः-ओ-तक़्वा गुज़श्त-ओ-रफ़्तदौर-ए-हक़ीक़तस्त विदाअ'-ए-मजाज़ कुन
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी कलाम
अहद रा सूरत-ए-मक़सूद अहमद बूद अहमद बूदन-बूद अज़ हक़ निशाँ वर बूद अहमद बूद अहमद बूद