आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "qabar"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "qabar"
साखी
चितावनी का अंग - 'कबीर' नाव है झाँझरी कूरा खेवनहार
'कबीर' नाव है झाँझरी कूरा खेवनहारहलके हलके तिर गये बूड़े जिन सिर भार
कबीर
साखी
सेवक और दास का अंग - 'कबीर' ख़ालिक़ जागिया और न जागै कोय
'कबीर' ख़ालिक़ जागिया और न जागै कोयकै जागै बिषया भरा कै दास बंदगी जोय
कबीर
साखी
चितावनी का अंग - 'कबीर' नाव तो झाँझरी भरी बिराने भार
'कबीर' नाव तो झाँझरी भरी बिराने भारखेवट से परिचय नहीं क्यूँकर उतरै पार
कबीर
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "qabar"
विषय
क़ब्र
क़ब्र
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "qabar"
साखी
सतसंग का अंग - 'कबीर' खाई कोट की पानी पिवै न कोय
'कबीर' खाई कोट की पानी पिवै न कोयजाइ मिलै जब गंग से सब गंगोदक होय
कबीर
साखी
सतसंग का अंग - 'कबीर' चंदन के निकट नीम भी चंदन होय
'कबीर' चंदन के निकट नीम भी चंदन होयबूड़े बाँस बड़ाइया यों जनि बूड़ो कोय
कबीर
साखी
सूक्ष्म का अंग - 'कबीर' मारग कठिन है कोई सकै न जाय
'कबीर' मारग कठिन है कोई सकै न जायगया जो सो बहुरै नहीं कुसल कहै को जाय
कबीर
साखी
बिरह का अंग - 'कबीर' चिनगी बिरह की मो तन पड़ी उड़ाय
कबीर चिनगी बिरह की मो तन पड़ी उड़ायतन जरि धरती हू जरी अंबर जरिया जाय
कबीर
साखी
सेवक और दास का अंग - 'कबीर' गुरू सब को चहैं गुरू को चहै न कोय
कबीर गुरू सब को चहैं, गुरू को चहै न कोयजब लग आस सरीर की तब लग दास न होय
कबीर
साखी
प्रेम का अंग - 'कबीर' हम गुरु रस पिया बाक़ी रही न छाक
'कबीर' हम गुरु रस पिया बाक़ी रही न छाकपाका कलस कुम्हार का बहुरि ते चढ़सी चाक
कबीर
साखी
सतसंग का अंग - 'कबीर' मन पंछी भया भावै तहवाँ जाय
'कबीर' मन पंछी भया भावै तहवाँ जायजो जैसी संगति करै सो तैसा फल खाय
कबीर
साखी
सूक्ष्म का अंग - 'कबीर' मारग कठिन है सब मुनि बैठे थाकि
'कबीर' मारग कठिन है सब मुनि बैठे थाकितहाँ 'कबीरा' चढ़ि गया गहि सत-गुरु की साखि
कबीर
साखी
चितावनी का अंग - 'कबीर' जंत्र न बाजई टूटि गया सब तार
'कबीर' जंत्र न बाजई टूटि गया सब तारजंत्र बिचार: क्या करै चला बजावनहार
कबीर
साखी
चितावनी का अंग - 'कबीर' रसरी पाँव में कहा सोवै सुख चैन
'कबीर' रसरी पाँव में कहा सोवै सुख चैनस्वास नगाड़ा कूँच का बाजत है दिन रैन
कबीर
साखी
सतसंग का अंग - 'कबीर' संगत साध की ज्यों गंधी का बास
'कबीर' संगत साध की ज्यों गंधी का बासजो कछु गंधी दे नहीं तौ भी बास सुबास
कबीर
साखी
सतसंग का अंग - 'कबीर' संगत साध की हरै और की ब्याधि
कबीर संगत साध की हरै और की ब्याधिसंगत बुरी असाध की आठो पहर उपाधि