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शे'र
इ’श्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इश्क़आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इ’श्क़
बेदम शाह वारसी
शे'र
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
इश्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मः-साज़-ए-इश्क़आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इश्क़
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
अज़ल के दिन से बज रहा है साज़-ए-नग़्मा-हा-ए-इ'श्क़तू गोश-ए-दिल से सुन ज़रा तू भी तो मुद्द'आ-ए-इ'श्क़
यादगार शाह वारसी
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विषय
आ’शिक़
आशिक़
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सूफ़ी कहावत
ज़माना बा तू नासाज़द, तू बा ज़माना साज़।
अगर समय आपके लिए उपयुक्त नहीं हैं, तो आप खुद को उनके अनुसार बदलें।
वाचिक परंपरा
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के इब्तिदाई साज़, राग ताल और ठेके
क़व्वाली के इब्तिदाई साज़ों की तफ़्सील किसी एक मज़मून या किताब से दस्तयाब नहीं होती, अलबत्ता
अकमल हैदराबादी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
इ'श्क़-बाज़ी-ओ-जवानी-ओ-शराब-ए-ला'ल-फ़ाममजलिस-ए-उंस-ओ-हरीफ़-ए-हमदम-ओ-शुर्ब-ए-मुदाम