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शबद
बिरह और प्रेम का अंग - ऐ सखि अब मैं काह करौं
ऐ सखि अब मैं काह करौंभलि परिउँ मैं आइ कै नगरी केहि बिधि धीर धरौं
जगजीवन साहेब
शबद
बिरह और प्रेम का अंग - पिय को देहु मिलाय सखी मैं पइयाँ लागौं
ब्रह्मा बिस्नु सिव का मन तहवाँ दिप्ति सो कहा न जाय'जगजीवन' सखि हिलिमिलि हम तुम रहि चरनन लिपटाय
जगजीवन साहेब
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विशेष
साखी
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पद
लोगों की भूल - सखी री मेरे बिच अचरज होय
सखी री मेरे बिच अचरज होय अचरच अचरज अचरज होयसाँचा मारग सुरत शब्द का सो नहिं माने कोय
शालीग्राम
शबद
होली - सखी री खेलहु प्रीति लगाय
सखी री खेलहु प्रीति लगायहै सुचित्त चित्त काँ थिर करि दीजै सब बिसराय
जगजीवन साहेब
राग आधारित पद
राग मलार- सखी री आज धन धरती धन-देशा
सखी री आज धन धरती धन-देशाधन जहँ रामे वात मँझारे हरि आय भेषा
सहजो बाई
दोहा
एक सखी ऐसे कहियो वे आये घन लाल
एक सखी ऐसे कह्यो वे आये घन लालउझकि बाल झुकि कैं लखै अति दुख भयो 'जमाल'
जमाल
दोहरा
हेरत हेरत हे सखी हौं धन गई हिराय
हेरत हेरत हे सखी हौं धन गई हिरायपरया बूँद समुंद महँ कह क्यूँ हेरी जाय
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
राग आधारित पद
राग मलार- सखी री आज जन्मे लीला धारी
सखी री आज जन्मे लीला धारीतिमिर भजैगी भक्ति खिजेगी पारायण नर-नारी
सहजो बाई
कलाम
तो-को बताऊँ कैसे सखी रे मुर्शिद की अनोखी बतियाँडाले डाका लूटे तन-मन घायल करे नैन से छतियाँ
अब्दुल हादी काविश
पद
दर्शनानंद के पद - सखी मन स्याम मूरत बसी
सखी मन स्याम मूरत बसीमुकट कुंडल करन बंसी मंद मुख पर हँसी
मीराबाई
गूजरी सूफ़ी काव्य
सुनियो सखी मेरा बचन हरेक मनें पिउ का राज़ है
सुनियो सखी मेरा बचन हरेक मनें पिउ का राज़ हैदिल से तुमें मानो यक़ीं हर ज़र्रा जियूँ 'हल्लाज' है