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दकनी सूफ़ी काव्य
खुशनामा
सिफ़त करूँ मैं अल्ला कूँ बड़ा जो पूरन पूरक़ादिर कुदरत अज्ञात कार नेरे न दूर
शाह मीराजी शम्सुल शाख़
दकनी सूफ़ी काव्य
शहादतुल हक़ीक़त
हमी बोल अरबी करे और फ़ारसी बहुतेरेयों हिन्दवी बोली तब इस अर्थ भावे सब
शाह मीराजी शम्सुल शाख़
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ग़ज़ल
बुतान-ए-हश्र ताज़ा रँग भर दीं दाग़-ए-इस्याँ मेंमज़ा दे जाए मेरा दाग़-ए-इस्याँ मेरे दामाँ में
रियाज़ ख़ैराबादी
दोहा
दधि-मन देत तरंग नित रंग रंग बिस्तार
दधि-मन देत तरंग नित रंग रंग बिस्तारकोउ तरंग मोती सहित काहु संग सेवार
बरकतुल्लाह पेमी
पद
होरी के पद - रंग भरी रंग भरी रंग सूँ भरी री
रंग भरी रंग भरी रंग सूँ भरी रीहोली आई प्यारी रंग सूँ भरी री
मीराबाई
सूफ़ी लेख
क़ौल, क़ल्बाना, नक़्श, गुल, तराना, छंद और रंग
क़ौल, क़ल्बाना, नक़्श, गुल, तराना, छंद और रंग क़व्वाली के मुख़्तलिफ़ रूप हैं जिनमें क़ौल-ओ- क़ल्बाना
अकमल हैदराबादी
कविता
सैयाँ मोरे बाला जोबन रंग जाय हो
सैयाँ मोरे बाला जोबन रंग जाय होअजब रंग पिया पिया तोरे अनूठी मार रंगी मोहे न गुहार हो