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कलाम
डरें क्यूँ अहल-ए-’इस्मत ताबिश-ए-ख़ुर्शीद-ए-महशर सेकि होगा सर पर उन के साएबाँ यूसुफ़ के दामन का
क़ाज़ी उम्राओ अली जमाली
बैत
तुम्हारे दीद के मुश्ताक़ सर-ब-सज्दा हैं
तुम्हारे दीद के मुश्ताक़ सर-ब-सज्दा हैंनक़ाब अब तो उलट दीजिए ख़ुदा के लिए
वहशी वारसी
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सूफ़ी लेख
जदीद क़व्वाली पर जोश मलीहाबादी, फ़िराक़ गोरखपूरी और कैफ़ी का असर
मुशाइ’रों में शाइ’र की कामयाबी का दार-ओ-मदार अच्छे कलाम के साथ अच्छे तरन्नुम या तहत-अल-लफ़्ज़ के
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
जदीद क़व्वाली और मूसीक़ी
पहले तो क़व्वाली की धुनें बहुत मख़्सूस और महदूद थीं, इन्हीं धुनों में कलाम के रद्द-ओ-बदल
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
आज जिस मौज़ूअ’ पर दा’वत-ए-फ़िक्र दी गई है वो “अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती का मौज़ूअ’ है
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
ख़ालिक़-बारी का नाम भी आज के लड़कों ने न सुना होगा। कल के बूढ़ों के दिल
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
जब हम हिन्दुस्तान की तहज़ीब का मुतालिआ’ करते हैं तो देखते हैं कि तरह तरह के
फ़रोग़-ए-उर्दू
पद
रामानन्द के दास कबीरा नामदेव भक्तन में शूरा
रामानन्द के दास कबीरा नामदेव भक्तन में शूराकलियुग में नीसान बजाया निराकार का पंथ चलाया
भाऊदास जी
शबद
शूरा ताही जानिये लड़े धनी के हेत
शूरा ताही जानिये लड़े धनी के हेतपुरजा पुरजा होय पड़े तहूँ न छाड़े खेत
लालदास
शे'र
इस आईना-रू के वस्ल में भी मुश्ताक़-ए-बोस-ओ-कनार रहेऐ आ’लम-ए-हैरत तेरे सिवा ये भी न हुआ वो भी न हुआ
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
पद
अली वली है शेर ख़ुदा के हादी जिन्न-ओ-बशर के
अली वली है शेर ख़ुदा के हादी जिन्न-ओ-बशर केबाब मदीन:-ए-इल्म के हैं यो वसी हैं पैग़म्बर के
कवि दिलदार
कलाम
ला-तक़्नितू नवेद है सब 'आसियों के तईंऐ शैख़ मो'तक़िद नहीं मैं तेरी बात का