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शे'र
आ'शिक़-ए-जाँ-निसार को ख़ौफ़ नहीं है मर्ग कातेरी तरफ़ से ऐ सनम जौर-ओ-जफ़ा जो हो सो हो
मीर मोहम्मद बेदार
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शे'र
अहक़र बिहारी
ग़ज़ल
अहक़र बिहारी
दोहा
जमाल जोगन मैं भई घाल गले मृग-छाल
जम जोगन मैं भई घाल गले मृग-छालवन-वन डोलत हूँ फिरूँ करत 'जमाल' 'जमाल'
जमाल
पद
प्रेम-मार्ग प्रेमदा पेड़ो सब दा न्यारो
प्रेमदा पेड़ो सब दा न्यारो प्रेमदा पेड़ो सब दा न्यारोमगन मस्त ख़ुश होले प्यारे नाक धनीदा प्यारो
बाबा किनाराम
दोहा
जमला सहु जग हूँ फिरी बाँध कमर मृग-छाल
जमला सहु जग हूँ फिरी बाँध कमर मृग-छालअजहूँ कंत न मानही अवगुन कोण 'जमाल'