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शे'र
मुज़्तर ख़ैराबादी
फ़ारसी कलाम
ऐ सर्व-ए-नाज़नीने ऐ तुर्क-ए-बे-नियाज़ेशोरे ज़दी ब-'आलम अज़ क़ामत-ए-दराज़े
पीर नसीरुद्दीन नसीर
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विषय
एहसास
एहसास
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कलाम
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
राज़-ए-सर-बस्ता मोहब्बत के ज़बाँ तक पहुँचेबात बढ़ कर ये ख़ुदा जाने कहाँ तक पहुँचे
हफ़ीज़ होश्यारपुरी
शे'र
मोहब्बत के एवज़ रहने लगे हर-दम ख़फ़ा मुझ सेकहो तो ऐसी क्या सरज़द हुई आख़िर ख़ता मुझ से
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
मोहब्बत के एवज़ रहने लगे हर-दम ख़फ़ा मुझ सेकहो तो ऐसी क्या सरज़द हुई आख़िर ख़ता मुझ से
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
मोहब्बत की नज़र करती है इक्सीर-ए-नज़र पैदामोहब्बत हो तो हो जाते हैं दिल पैदा जिगर पैदा
आरज़ू सहारनपुरी
ग़ज़ल
मोहब्बत में मोहब्बत की क़सम ऐसा भी होता हैकि दिल रोता है और हँसते हैं हम ऐसा भी होता है