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पद
ब्रजभाव के पद - बात क्या कहूँ नागर नट kii नागर नट की
बात क्या कहूँ नागर नट kii नागर नट कीहूँ दधि बेचन जात बृन्दाबन छिन लिये मोरी दधि की मटकी
मीराबाई
गूजरी सूफ़ी काव्य
दिल के घर मांही चराग़-ए-हुब्ब जला
दिल के घर मांही चराग़-ए-हुब्ब जलामेरे पिउ कूँ जान अपनी सहला
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
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ना'त-ओ-मनक़बत
मुस्लिम है जहाँ में रुतबा-ए-आ’ली क़तादा काशुजाअ'त में नहीं मिलता कोई सानी क़तादा का
वासिफ़ रज़ा वासिफ़
शे'र
वो सर और ग़ैर के दर पर झुके तौबा मआ'ज़-अल्लाहकि जिस सर की रसाई तेरे संग-ए-आस्ताँ तक है
बेदम शाह वारसी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली ग्यारहवीं शरीफ़ और हज़रत ग़ौस पाक के चिल्लों पर
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के चिल्लों पर क़व्वाली के रिवाज और उसकी मक़्बूलियत के बाद हिन्दोस्तान में
अकमल हैदराबादी
नज़्म
यारब दिल-ए-मुस्लिम को इक ज़िंदा तमन्ना दे
यारब दिल-ए-मुस्लिम को इक ज़िंदा तमन्ना देजो क़ल्ब को गरमा दे जो रूह को तड़पा दे
अल्लामा इक़बाल
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
आज जिस मौज़ूअ’ पर दा’वत-ए-फ़िक्र दी गई है वो “अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती का मौज़ूअ’ है
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
ख़ालिक़-बारी का नाम भी आज के लड़कों ने न सुना होगा। कल के बूढ़ों के दिल
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
जब हम हिन्दुस्तान की तहज़ीब का मुतालिआ’ करते हैं तो देखते हैं कि तरह तरह के
फ़रोग़-ए-उर्दू
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ब-ग़ैर अज़ाँ कि बे-शुद दीन-ओ-दानिश अज़ दस्तमबया ब-गो कि ज़े-इश्क़त चे तरफ़ बर बस्तम