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बै’अत-ओ-ख़िलाफ़त: आप शैख़ अबु-अल-फ़ज़्ल बिन हसन ख़तली के मुरीद हैं। वो मुरीद हज़रत ख़िज़्री के, और वो मुरीद हज़रत शैख़ शिबली के हैं।सैर-ओ-सियाहतः आपने ख़ुरासान, मा-वराउन्नहर, मर्व, आज़र-बाईजान वग़ैरा की सैर-ओ-सियाहत फ़रमाई। बहुत से दरवेशों से मिले और बहुत सी बर्गुज़ीदा हस्तियों से इस्तिफ़ादा किया। हज़रत शैख़ अबु-अल-क़ासिम गुरगानी, हज़रत शैख़ अबू स’ईद अबुल-ख़ैर और हज़रत शैख़ अबु-अल-क़ासिम कुशैरी के रुहानी फ़ुयूज़ से मुस्तफ़ीद-ओ-मुस्तफ़ीज़ हुए।
ये सुनकर हज़रत बहाउद्दीन ज़करिया ख़ुश हो गए और उनको कुछ ऐसी ना-गवारी हुई कि आपसे ‘अलाहिदा हो गए।अनार का दाना: आप सैर-ओ-सियाहत फ़रमाते हुए मुल्तान तशरीफ़ लाए। मुल्तान से आप खतवाल पहुँचे। आप जहाँ भी जाते थे वहाँ के दरवेशों से ज़रूर मिलते थे। खतवाल पहुँच कर आपने दरियाफ़्त फ़रमाया कि क्या इस शहर में कोई दरवेश है जिससे मिला जाए।
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